Hanuman Temple - ujjain

Hanuman Temple - ujj...

Hanuman Temple located in Chamba, Himachal Pradesh

Hanuman Temple @Chamba, Himachal Prade...

Karya Siddhi Hanuman, Bangalore

KaryaSiddhi Hanuman, Bangalo...

श्री हनुमान सहस्र नामावली

१ . ॐ हनुमते नमः । २ . ॐ श्रीप्रदाय नमः । ३ . ॐ वायुपुत्राय नमः । ४ . ॐ रुद्राय नमः । ५ . ॐ अनघाय नमः । ६ . ॐ अजराय नमः । ७ . ॐ अमृत्यवे नमः। ८ . ॐ वीरवीराय नमः । ९ . ॐ ग्रामवासाय नमः । १० . ॐ जनाश्रयाय नमः । ११ . ॐ धनदाय नमः । १२ . ॐ निर्गुणाय नमः । १३ . ॐ अकायाय नमः । १४ . ॐ वीराय नमः । १५ . ॐ निधिपतये नमः । १६ . ॐ मुनये नमः । १७ . ॐ  पिंगालक्षाय । १८ . ॐ वरदाय नमः । १९ . ॐ वाग्मिने नमः । २० . ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः । २१ . ॐ शिवाय नमः । २२ . ॐ सर्वस्मै नमः । २३ . ॐ परस्मै नमः । २४ . ॐ अव्यक्ताय नमः । २५ . ॐ व्यक्ताव्यक्ताय नमः । २६ . ॐ रसाधराय नमः । २७ . ॐ पिंगकेशाय । २८ . ॐ पिंगरोम्णे । २९ . ॐ श्रुतिगम्याय नमः । ३० . ॐ सनातनाय नमः । ३१ . ॐ अनादये नमः । ३२ . ॐ भगवते नमः । ३३ . ॐ देवाय नमः । ३४ . ॐ विश्वहेतवे नमः । ३५ . ॐ निरामयाय नमः । ३६ . ॐ आरोग्यकर्त्रे नमः । ३७  . ॐ...

IN PANCHMUKHI HANUMAN:

Ek mukh he " VED " Dusra mukh he " UPNISHAD " Tisra mukh he " VALMIKI RAMAYAN " Chotha he " RAMCHARITMANAS " Pachva mukh he " BHADVAD GITA "...

Know more about PANCHMUKHI HANUMAN

Panchamukhi Hanuman Hanuman assumed Panchmukha or five-faced form to kill Ahiravana, a powerful rakshasa black-magician and practitioner of the dark arts during the Ramayana war. Ahiravana, brother of Ravana, had taken Lord Rama and Lakshmana to netherworld as captive, and the only way to kill him was to extinguish five lamps burning in different directions, all at the same instant. Hanuman assumed His Panchamukha form and accomplished the task, thus killing the rakshasa, and freeing Rama and Lakshmana. (Face -Direction -Significance) 1)Sri Hanuman (Original)- East This face removes all blemishes of sin and confers purity of...

उलटे हनुमान का मंदिर

उलटे हनुमान का मंदिर भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है. यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है. सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं. यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया . उलटे हनुमान कथा भगवान हनुमान के सभी मंदिरों में से अलग यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है. साँवेर के हनुमान जी के विषय में एक कथा बहुत लोकप्रिय है. कहा जाता है कि जब रामायण काल में  भगवान श्री राम व रावण का  युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण...

पन्च्मुखी हनुमान कवच

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हनुमान चालीसा का अर्थ

महत्त्व तो हमेशा से भक्ति का ही है जब भक्त भक्ति की पराकाष्ठा प्राप्त कर भगवान् में अपने को विलीन कर देता है तो उसमे ये क्षमता आ जाती है कि वो औरों को कुछ दे सके  वो गुरु पद को प्राप्त कर लेते है | फिर उनकी स्तुति करके जो भक्ति के पथ पर चलना चाहते हैं उस मार्ग को प्राप्त कर सकते हैं | हनुमान चालीसा भी हनुमान जी की स्तुति है और उसके अंत में हम प्रार्थना करते हैं कि हमपर गुरु के नाते कृपा करना | क्योंकि गुरु ही एक मात्र ऐसे है जो शिष्य को अपने सामान करता है  | पारस भी लोहे को कंचन तो कर सकता है पर अपने सामान नहीं कर सकता | ये दयालुता केवल और केवल गुरु में ही होती है | हनुमान चालीसा में भी हम हनुमान जी की स्तुति करके यही मांगते हैं की हमें रघुवीर यानी प्रभु की भक्ति प्रदान करें भक्ति के मार्ग पर हमें हाथ पकड़ कर ले चलें | हमारे अंतर में भी आपकी तरह रघुबीर का वास हो जाए | प्रथम...

हनुमान चालीसा का पाठ क्यों करते हैं?

कलयुग में हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली मानी गई है। श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान अपने भक्तों और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों की हर कदम मदद करते हैं। सीता माता के दिए वरदान के प्रभाव से वे अमर हैं और किसी ना किसी रूप में अपने भक्तों के साथ रहते हैं। हनुमानजी को मनाने के लिए सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का नित्य पाठ। हनुमानजी की यह स्तुति का सबसे सरल और सुरीली है। इसके पाठ से भक्त को असीम आनंद की प्राप्ति होती है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा बहुत प्रभावकारी है। इसकी सभी चौपाइयां मंत्र ही हैं। जिनके निरंतर जप से ये सिद्ध हो जाती है और पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त हो जाती है। यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्यां सता रही है तो ऐसे में सभी ज्ञानी विद्वानों द्वारा हनुमान...

श्री हनुमान चालीसा

श्री हनुमान की आराधना हेतु, चालीसा का पाठ सर्वमान्य साधन है | इसका पाठ सनातन जगत में जितना प्रचलित है, उतना कोई और वंदना या पूजन नहीं दिखाई देता |श्री हनुमान चालीसा के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास जी मने जाते है इसलिए श्री रामचरित मानस की भाँति यह हनुमानगुणगाथा फलदायी मानी गई है | हनुमन पूजन विधान में यह तुलसीदास कृत श्री हनुमान चालीसा प्रस्तुत है| दोहा- ॐ श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारी || बनरऊँ रघुवर विमल जसु, जो दायकु फल चारी || बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरों पवन कुमार || बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार || जय हनुमान ज्ञान गुण सागर | जय कपीस तिहूँ लोक उजागर || रामदूत अतुलित बल धामा | अंजनी पुत्र पवनसुत नामा || महावीर विक्रम बजरंगी | कुमति निवार सुमति के संगी || कंचन बरन विराज सुबेसा | कानन कुण्डल कुंचित केसा || हाथ बज्र औ ध्वजा विराजे | काँधे मूँज जनेऊ साजे || संकर सुवन...

श्री हनुमान जी की आरती |

आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की || जाके बल से गिरिवर काँपे | रोग दोष जाके निकट न झांके || अनजानी पुत्र महाबलदायी | संतान के प्रभु सदा सहाई | दे बीरा रघुनाथ पठाये | लंका जारी सिया सुध लाये || लंका सो कोट समुद्र सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई || लंका जारी असुर संहारे | सियारामजी के काज सँवारे || लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे | आणि संजीवन प्राण उबारे || पैठी पताल तोरि जम कारे | अहिरावण की भुजा उखाड़े || बाएं भुजा असुरदल मारे | दाहिने भुजा संतजन तारे || सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे | जै जै जै हनुमान उचारे || कंचन थार कपूर लौ छाई | आरती करत अंजना माई || लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई | तुलसीदास प्रभु कीरति गाई || जो हनुमान जी की आरती गावै | बसी बैकुंठ परमपद पावै || आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की || श्री हनुमते नम: आरार्तिकं समर्पयामि | हनुमान जी को कपूर, केशर, ५ लौंग की आरती...

पन्च्मुखी हनुमान कवच

श्री गणेशाय नम: |  ओम अस्य श्रीपंचमुख हनुम्त्कवचमंत्रस्य ब्रह्मा रूषि:|  गायत्री छंद्:|  पंचमुख विराट हनुमान देवता| र्‍हीं बीजम्|  श्रीं शक्ति:| क्रौ कीलकम्| क्रूं कवचम्|  क्रै अस्त्राय फ़ट्| इति दिग्बंध्:|  श्री गरूड उवाच्||  अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि|  श्रुणु सर्वांगसुंदर| यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम्||१|| पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्| बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम्||२|| पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्| दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम्||३|| अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्| अत्युग्रतेजोवपुष्पंभीषणम भयनाशनम्||४|| पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्| सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्||५|| उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दिप्तं नभोपमम्| पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्| ऊर्ध्वं हयाननं...

असाधारण और अचूक है बजरंग बाण

बजरंग बाण के बारे में कहा जाता है कि इसका प्रयोग हर कहीं, हर किसी को नहीं करना चाहिए। जब व्यक्ति घोर संकट में हो तब ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए वरना राम भक्त हनुमान इसके प्रयोग में हुई त्रुटि को क्षमा नहीं करते हैं। छोटी-मोटी समस्याओं में इस का प्रयोग निषेध है। इसका प्रयोग किसी अत्यंत अभिष्ट कार्य के लिए भी किया जाता है मगर इसमें सावधानी रखने की जरूरत होती है। इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन तय करें। हनुमानजी की प्रतिमा या आकर्षक चित्र रख लें। ॐ हनुमंते नम: का जप निरंतर करें। पूजा के लिए कुशासन(एक विशेष प्रकार की घास से बना आसन) प्रयोग करें। पूजा के लिए स्थान का शुद्ध एवं शान्त होना जरूरी है। किसी एकान्त अथवा निर्जन स्थल में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें। हनुमान जी की पूजा में दीपदान का खास महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और...

हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का चमत्कार

आज हर व्यक्ति अपने जीवन मे सभी भौतिक सुख साधनो की प्राप्ति के लिये भौतिकता की दौड मे भागते हुए किसी न किसी समस्या से ग्रस्त है। एवं व्यक्ति उस समस्या से ग्रस्त होकर जीवन में हताशा और निराशा में बंध जाता है। व्यक्ति उस समस्या से अति सरलता एवं सहजता से मुक्ति तो चाहता है पर यह सब केसे होगा? उस की उचित जानकारी के अभाव में मुक्त हो नहीं पाते। और उसे अपने जीवन में आगे गतिशील होने के लिए मार्ग प्राप्त नहीं होता। एसे मे सभी प्रकार के दुख एवं कष्टों को दूर करने के लिये अचुक और उत्तम उपाय है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ हनुमान चालीसा और बजरंग बाण ही क्यु ?क्योकि वर्तमान युग में श्री हनुमानजी शिवजी के एक एसे अवतार है जो अति शीघ्र प्रसन्न होते है जो अपने भक्तो के समस्त दुखो को हरने मे समर्थ है। श्री हनुमानजी का नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तो के सारे संकट दूर हो जाते हैं। क्योकि इनकी...

श्री हनुमान चालिसा

दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥ चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन॥ विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥ लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि...

श्री बजरंग बाण

दोहा : निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई : जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥ जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर...

हनुमान बजरंग बाण

हनुमान बजरंग ब...

मंगलवार और हनुमानजी

आज हनुमानजी सभी की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। सभी श्रद्धालु हनुमानजी की पूजा करना काफी पसंद हैं। इनकी पूजा करना जितनी सहज है उतना ही सुखद अहसास और जीवन में सफलता देने वाली होती है। वैसे तो इनकी पूजा किसी भी वार या समय पर की जा सकती है लेकिन ऐसा माना जाता है कि मंगलवार को की गई हनुमानजी पूजा विशेष फल देने वाली है। कुछ भक्त प्रतिदिन हनुमान चालिसा, सुंदरकांड का पाठ करते हैं लेकिन मंगलवार के दिन अधिकांश श्रद्धालु हनुमान चालिसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं।मंगलवार को हनुमानजी की विशेष पूजा क्यों की जाती है? धर्म शास्त्रों में इस संबंध में बताया गया है कि मंगलवार पवन पुत्र के जन्म का वार है। मंगलवार को हनुमानजी का जन्म माना गया है। हनुमानजी को माता सीता ने अमरता का वरदान दिया है अत: वे हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं। कलयुग में हनुमानजी की आराधना तुरंत ही शुभ फल देने...

हनुमान भक्ति से मंगल दोष शांति

श्री हनुमान की उपासना। श्री हनुमान भी रुद्र यानी शिव के अवतार माने जाते हैं। मंगल भी शिव के ही अंश है। यही कारण है कि हनुमान की भक्ति मंगल पीड़ा को भी शांत करने में प्रभावी मानी गई है। इसलिए जाने श्री हनुमान भक्ति से मंगल दोष शांति के लिए कुछ विशेष हनुमान मंत्र, जो हनुमान की सामान्य पूजा के बाद बोलें - मंगलवार के दिन स्नान कर खासतौर पर लाल वस्त्र पहनकर श्री हनुमान की पूजा में सिंदूर, लाल चंदन, लाल अक्षत, लाल कलेवा, वस्त्र, लाल फूल चढ़ाकर लाल अनार का भोग लगाएं। पूजा के बाद मंगलदोष शांति की कामना के साथ श्री हनुमान के इन सरल मंत्रों का जप करें - - ॐ रुद्रवीर्य समुद्भवाय नम: - ॐ शान्ताय नम: - ॐ तेजसे नम: - ॐ प्रसन्नात्मने नम: - ॐ शूराय नम: हनुमान मंत्र जप के बाद श्री हनुमान और मंगल देव का ध्यान कर लाल चन्दन लगे लाल फूल और अक्षत लेकर श्री हनुमान के चरणोंं में अर्पित करें। श्री...

Panchmukhi Hanuman Kavach:

1) Panchmukhi Hanuman Kavach: Panchmukhi Hanuman Kavach mantra with Rishi, Chandas, Deva, Bija mantras, Phalasruti etc by Nandu Honap is available as audio file at; http://ishare.rediff.com/music/hindi/shr… 2) Panchmukhi Hanuman Kavach, Text: Devanagari text PDF file for Panchmukhi Hanuman Kavach is available at; http://trojansirius.tripod.com/panchamuk… There sre some variations here and there with PDF and MP3 fil...

Shri Panchmukhi Hanumat Kavacham

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श्री राम की रक्षा के लिए हनुमान जी ने धरा पंचमुखी रूप

अंजनीसुत महावीर श्रीराम भक्त हनुमान ऐसे भारतीय पौराणिक चरित्र हैं जिनके व्यक्तित्व के सम्मुख युक्ति, भक्ति, साहस एवं बल स्वयं ही बौने नजर आते हैं। संपूर्ण रामायण महाकाव्य के वह केंद्रीय पात्र हैं। श्री राम के प्रत्येक कष्टï को दूर करने में उनकी प्रमुख भूमिका है। इन्हीं हनुमान जी का एक रूप है पंचमुखी हनुमान। यह रूप उन्होंने कब क्यों और किस उद्देश्य से धारण किया इसके संदर्भ में पुराणों में एक अद्भुत कथा वर्णित है। श्रीराम-रावण युद्ध के मध्य एक समय ऐसा आया जब रावण को अपनी सहायता के लिए अपने भाई अहिरावण का स्मरण करना पड़ा। वह तंत्र-मंत्र का प्रकांड पंडित एवं मां भवानी का अनन्य भक्त था। अपने भाई रावण के संकट को दूर करने का उसने एक सहज उपाय निकाल लिया। यदि श्रीराम एवं लक्ष्मण का ही अपहरण कर लिया जाए तो युद्ध तो स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। उसने ऐसी माया रची कि सारी सेना प्रगाढ़ निद्रा में...

कल्याणकारी पंचमुखी हनुमान

मान्यता है कि भक्तों का कल्याण करने के लिए ही पंचमुखीहनुमान का अवतार हुआ। हनुमानजी का एकमुखी,पंचमुखी और एकादशमुखीस्वरूप प्रसिद्ध है। चार मुख वाले ब्रह्मा, पांच मुख वाली गायत्री, छह मुख वाले कार्तिकेय, चतुर्भुजविष्णु, अष्टभुजीदुर्गा, दशमुखीगणेश के समान पांच मुख वाले हनुमान की भी मान्यता है। पंचमुखीहनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता है। शंकर के अवतार हनुमान ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढती है। आनंद रामायण के अनुसार, विराट स्वरूप वाले हनुमान पांच मुख, पंद्रह नेत्र और दस भुजाओं से सुशोभित हैं। हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित...
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